Deepawali 2020 Kab Hai Diwali 2020 Date
Deepawali 2020 Kab Hai: भारत में नवरात्रि के बाद और भी बहुत सारे त्योहारों की शुरुआत हो जाती है दशहरा त्योहार 25 तारीख को मनाया जायेगा और उसके बाद दीपावली और फिर छठ पूजा।
Deepawali 2020 Kab Hai
भारत में हिंदी पंचांग के अनुसार हम त्योहारों को मनाते हैं तो इसके अनुसार Deepawali या diwali कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होता है। इस त्यौहार में हम ऐश्वर्य की माता लक्ष्मी एवं भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना श्रद्धा पूर्वक करते हैं।
वैसे इस वर्ष मलमास लगने के कारण दीपावली थोड़ा लेट से पड़ रहा है जिसके वजह से हमारे बीच इस त्यौहार को लेकर तारीख के विषय में भ्रम है।
इस पोस्ट में हम जानेंगे कि Deepawali 2020 Kab Hai एवं साथ ही पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में भी बात करेंगे तो आइए दीपावली के डेट के साथ ही इसके शुभ मुहूर्त के बारे में भी जान लेते हैं।
Diwali 2020 Date
2020 में दीपावली का त्यौहार कार्तिक महीने की अमावस्या को पड़ रहा है यानी 14 नवंबर 2020 को दीपावली त्यौहार मनाया जाएगा। अमावस्या 14 नवंबर को दोपहर 02:17 बजे से शुरू होगा एवं अगले दिन यानी 15 नवंबर सुबह 10:36 बजे तक रहेगा।
Dipawali 2020 शुभ पूजन मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त 14 नवंबर शाम 05:28 बजे से शुरू होगा एवं शाम 07:24 बजे तक रहेगा। प्रदोष काल भी इसी दिन शाम 05:28 बजे से शुरू होकर शाम 08:07 बजे तक रहेगा।
14 नवंबर को ही वृषभ काल शाम 05:28 बजे से शुरू होकर रात 07:24 बजे तक रहेगा अब हम नीचे चौघड़िया मुहूर्त का समय देखेंगे।
चौघड़िया मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन
चौघड़िया मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन 14 नवंबर को दोपहर 02:17 बजे से शुरू होकर शाम 04:07 बजे तक रहेगा एवं लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त 14 नवंबर शाम 05:28 बजे से शुरू होकर शाम 07:07 बजे तक रहेगा।
रात में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त 14 नवंबर को ही रात 08:47 बजे से शुरू होकर देर रात 01:45 बजे तक रहेगा। अगला दिन यानी 15 नवंबर को लक्ष्मी पूजा सुबह 05:04 बजे से शुरू होकर सुबह 06:44 बजे तक रहेगा।
जानें दीपावली का महत्व
दीपावली का त्यौहार धनतेरस से शुरू होता है और भैया दूज तक चलने वाला ये त्यौहार बहुत पुराना है इस त्यौहार को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है।
इस पोस्ट में हम दीपावली के महत्व एवं इसके इतिहास के बारे में जानेंगे ये त्यौहार क्यों मनाया जाता है एवं इसकी शुरुआत कब हुई थी इन सभी बातों को जानने के लिए आप इस पोस्ट को कंटिन्यू पढीये।
माना जाता है कि भगवान श्री राम रावण का वध करने के बाद जब अयोध्या लौटे थे तो उसी की खुशी में पूरे देशवासी दीप जलाकर भगवान राम के आने की खुशी मनाए थे और तभी से दीपावली का त्यौहार मनाना शुरू किया गया था।
मान्यता के अनुसार इसी दिन को मां दुर्गा ने काली का रूप लिया था एवं भगवान महावीर को भी इसी दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। और इसी दिन को पांडव भी अपना वनवास एवं अज्ञातवास को समाप्त करके वापस लौटे थे।
दीपावली का इतिहास
दीपावली के दिन यानी कार्तिक के महीने में अमावस्या को माता लक्ष्मी क्षीर सागर में प्रकट हुई थी और इसीलिए दीपावली पूजन में माता लक्ष्मी का पूजा का विधान है।
दीपावली के पहले से ही लोग घरों की साफ-सफाई एवं सजावट करना शुरू करते हैं और दीपावली के अवसर पर माता लक्ष्मी का पूजन होता है।
रामायण के अनुसार त्रेता युग में कार्तिक के महीने में अमावस्या को भगवान श्री राम सीता एवं लक्ष्मण श्रीलंका से अयोध्या के लिए वापस लौटे थे और उन्हीं के भव्य स्वागत में अयोध्या वासी नगर में दीप जला के एवं मिठाइयां बांटकर खुशी मनाए थे।
और तभी से कार्तिक अमावस्या को घर-घर दीप जलाकर एवं मिठाईयां बांटकर खुशी मनाई जाती है और इसे ही हम दीपावली का त्यौहार बोलते हैं।
और अंत में
वैसे तो दीपावली का त्यौहार दीप जलाकर एवं मिठाइयां बांट के ही मनाने का विधान रहा है लेकिन समय के साथ हमने अलग-अलग तरह के पटाखे फोड़ने का भी सिलसिला चालू किया और इसी को देखते हुए कई बड़ी-बड़ी कंपनियां अपना पटाखे का व्यापार को बढ़ावा दिया।
दीपावली में बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़े जाते हैं जिससे प्रदूषण बढ़ने के साथ ही कई बार पटाखों से जलने एवं आग लगने की घटनाएं भी देखी जाती है।
दीपावली का त्यौहार अंधेरों में उजालों का जीत का त्यौहार है इसे हमें रोशनी कर के दीप जलाकर मनाना चाहिए और कोशिश यही करना चाहिए कि कम से कम पटाखों का इस्तेमाल करें।
आजकल लोग दीप के जगह विदेशी बल्ब जलाते हैं तो हम आपसे यही अनुरोध करेंगे कि आप उन छोटे व्यापारियों को कुम्हारों के हाथों से बनाया हुआ दीप को ही अपने घर में जलाएं ना कि विदेशी कंपनियों के इलेक्ट्रॉनिक बल्बों को।
तो हमने यहां पर जाना Deepawali 2020 Kab Hai और साथ ही इसके महत्व एवं इतिहास के बारे में भी जानकारी लिया।
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1 टिप्पणियां
Happy Raksha Bandhan
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