रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है क्या है परंपरा एवं धार्मिक प्रसंग
![]() |
raksha bandhan kaise manaya jata hai |
यहाँ पे हम जानेंगे भारत के कुछ राज्यों में रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है क्या है परंपरा एवं धार्मिक प्रसंग रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने का परंपरा एवं धार्मिक प्रसंग
उत्तरांचल में रक्षाबंधन
उत्तरांचल में रक्षाबंधन श्रावणी के नाम से जाना जाता है। यहां पर इस दिन को यजुर्वेदी द्विजों का उपकरण होता है। यहां के लोग उत्सर्जन स्नान विधि ऋषि तर्पण आदि करके नवीन यज्ञोपवीत धारण करते हैं।
उत्तरांचल में रक्षाबंधन ब्राह्मणों का सर्वोपरि त्यौहार माना गया है। ब्राह्मण यज्ञ पूजा करने के बाद अपने यजमानो को राखी देकर दक्षिणा लेते हैं।
अमरनाथ जाने वालों की धार्मिक यात्रा गुरु पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन के ही दिन खत्म होता है एवं इसी दिन को यहां का हिमानी शिवलिंग पूर्ण आकार को प्राप्त होता है एवं इसी के उपलक्ष में इस दिन गुफा में मेले का आयोजन होता है।
महाराष्ट्र में रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है
महाराष्ट्र में रक्षाबंधन नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से जाना जाता है, रक्षाबंधन के दिन यहां के लोग नदियों या समुद्र तट पर जाकर अपना जनेऊ बदल के स्नान करके समुद्र की पूजा करते हैं।
एवं इस मौके पर लोग वरुण देवता को प्रसन्न करने के लिए नारियल चढ़ाते हैं इसी वजह से मुंबई के समुद्र तट पर इस दिन नारियल के फलों का भरमार होता है।
राजस्थान में रक्षाबंधन
राजस्थान में रक्षाबंधन के त्यौहार में रामराखी एवं चुरा राखी या लुंबा बांधा जाता है। राम राखी अन्य सभी राखियों से अलग होता है इस राखी में एक पीला कलर का फुंदना लगा होता है एवं इस राखी को सिर्फ भगवान को ही बांधा जाता है।
चुरा राखी एक अलग तरह की राखी होती है जिसे भाभियों के चुरियों में बांधने का रिवाज है। जोधपुर में सिर्फ राखी ही बांधने का रिवाज नहीं है बल्कि शरीर को शुद्ध करने के लिए मीनकानारी पर गोबर एवं मिट्टी, भस्मी से स्नान किया जाता है।
स्नान करने के बाद पूजा स्थल बना के धर्म एवं वेदो के प्रवचनकर्ता अरुंधति, गणपति, दुर्गा, गोभिला एवं सप्तर्षियों के पूजा की जाती है एवं उनका तर्पण करने के बाद पितृ ऋण चुकाने का प्रावधान है।
धार्मिक अनुष्ठान पूरा हो जाने के बाद सभी घर आते हैं एवं हवन करते हैं और फिर रेशमी डोरे से राखी बनाकर कच्चे दूध से अभिमंत्रित किया जाता है और फिर इसके बाद ही भोजन का प्रावधान है।
तमिलनाडु केरल महाराष्ट्र एवं उड़ीसा मे रक्षाबंधन
तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, एवं उड़ीसा के ब्राह्मण इस पर्व को अवनी अवित्तम कहते हैं। यह दिन यज्ञोपवितधारी ब्राह्मणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिन होता है।
यहां पर रक्षाबंधन के दिन नदी या फिर समुद्र के तट पर स्नान किया जाता है एवं तत्पश्चात ऋषि यों को तर्पण कर यज्ञोपवीत धारण किया जाता है।
बीते दिनों का पुराने पापो को पुराने यज्ञोपवीत की ही तरह त्याग किया जाता है एवं जैसे स्वच्छ नवीन यज्ञोपवीत धारण किया गया था वैसे ही नया जीवन प्रारंभ करने की प्रतिज्ञा ली जाती है।
राखी के दिन यजुर्वेदीय ब्राह्मण 6 महीना के लिए वेद का अध्ययन शुरू करते हैं यहां पर रक्षाबंधन त्यौहार का नाम उपक्रमण भी है एवं इसका मतलब हुआ नई शुरुआत।
व्रज में हरियाली तीज से लेकर (जोकि श्रावण शुक्ल तृतीय पक्ष में होता है) श्रावणी पूर्णिमा के दिन तक मंदिरों एवं घरो में ठाकुर झूले में विराजमान रहते हैं एवं रक्षाबंधन के दिन झूला दर्शन समाप्त हो जाते हैं।
ये भी पढ़े
रक्षाबंधन कब शुरू हुआ - जानिए विस्तार से
ये भी पढ़े
रक्षाबंधन कब शुरू हुआ - जानिए विस्तार से
उत्तर प्रदेश में रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है
उत्तर प्रदेश में रक्षाबंधन सावन के महीना में पूर्णिमा के दिन को मनाया जाता है इस अवसर पर सभी बहने अपने भाई की कलाई पर राखी के रूप में प्यार बांधती है।
एवं भाई की लंबी उम्र एवं तरक्की की कामना करती है वही भाई भी बहन को उपहार देने के साथ ही सुरक्षा करने का संकल्प लेते हैं।
तो यहाँ पे हमने जाना की भारत के कुछ राज्यों में रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है
1 टिप्पणियां
Happy Raksha Bandhan
जवाब देंहटाएंटिप्पणी पोस्ट करें
कमेंट करने के लिए धन्यवाद!